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छः माह की उम्र के बाद बच्चे के लिए स्तनपान के साथ पूरक आहार भी जरूरी


- शिशु को जन्म के बाद छ: माह तक सिर्फ माँ के दूध से ही मिलती है पूरी ऊर्जा 


- स्तनपान से ही बढ़ेगी शिशु का रोग प्रतिरोधक क्षमता 


खगड़िया, 22 अक्टूबर।

राज्य स्वास्थ्य समिति शिशु के स्वस्थ शरीर निर्माण और देश में कुपोषण की दर में सुधार लाने के लिए पूरी तरह संकल्पित है। इसको लेकर तरह-तरह के कार्यक्रम व अभियान का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। ताकि शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके और सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा मिले। इसको लेकर लगातार स्वास्थ्य विभाग के अफसर भी प्रयासरत हैं ।



आईसीडीएस और स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा किया जा रहा जागरूक : - 

आईसीडीएस और स्वास्थ विभाग द्वारा तरह-तरह की गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। मिशन एक कुपोषण की समस्या दूर हो। ऑगनबाड़ी सेविका और आशा द्वारा गाँव स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। लोगों को जागरूक कर प्रेरित किया जा रहा है। जन्म के छ: माह तक माँ का दूध ही बच्चे के लिए सम्पूर्ण आहार माना जाता है। माँ का दूध न केवल पचने में आसान होता है बल्कि इससे नवजात की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। लेकिन 6 माह के बाद सिर्फ स्तनपान से बच्चे के आवश्यक पोषण की पूर्ति नहीं हो पाती है। इसके बाद बच्चे के भोजन में अर्द्धठोस व पौष्टिक आहार को शामिल करना चाहिए आदि जानकारी लोगों को दी जा रही है।


-बच्चों को छह माह के होने के बाद ऊपरी आहार जरूरी :- 

खगड़िया सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राजीव कुमार ने बताया कि बच्चों को छह माह होने के बाद से ऊपरी आहार की शुरुआत करें। प्रारम्भ में बच्चे को नरम खिचड़ी व मसला हुआ आहार 2-3 चम्मच रोज 2 से 3 बार दें। फिर 9 माह तक के बच्चों को मसला हुआ आहार, दिन में 4-5 चम्मच से लेकर आधी कटोरी व दिन में एक बार नाश्ता, 9-12 महीने के बच्चों को अच्छी तरह से कतरा व मसला हुआ आहार जिसे कि बच्चा अपनी अंगुलियों से उठा कर खा सके देना चाहिए। इस उम्र के बच्चों को दिन में 1 -2 बार नाश्ता तथा 3-4 बार  भोजन  देना चाहिए। 12 से 24 माह तक के बच्चों अच्छी तरह से से कतरा, काटा व मसला हुआ ऐसा खाना जो कि परिवार के अन्य सदस्यों के लिए बनता हो देना चाहिए। इस आयु में बच्चे को कम से कम एक कटोरी नाश्ता दिन में 1 से 2 बार व भोजन 3-4 बार दें।


-संक्रमण से लड़ने के लिए पौष्टिक आहार की जरुरत : -

पहले दो साल में जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते वे खांसी, जुकाम दस्त जैसी बीमारियों से बार-बार बीमार पड़ते हैं। बच्चे को इन सभी संक्रमणों से बचने और लड़ने के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत होती है। यदि बच्चा सही से ऊपरी आहार नहीं ले रहा है तो वह कुपोषित हो सकता है और कुपोषित बच्चों में संक्रमण आसानी से हो सकता है। बच्चे को ताजा व घर का बना हुआ भोजन ही खिलाना चाहिए।


- स्वच्छता का ख्याल रखना बेहद जरूरी : - 

भोजन बनाने व बच्चे को भोजन कराने से पहले साबुन से हाथ धो लेने चाहिए। बच्चे का भोजन बनाने व उसे खिलाने में सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अच्छे से पानी से धोने के बाद ही फल व सब्जियों को उपयोग करना चाहिए। जिस बर्तन में बच्चे को खाना खिलायेँ वह साफ होना चाहिये।


-धैर्य के साथ खिलायें खाना :- 

बच्चे को प्रतिदिन अनाज, दालें, सब्जियों व फलों को मिलाकर संतुलित आहार खिलायें। बच्चों को विभिन्न स्वाद एवं विभिन्न प्रकार का खाना खाने को दें क्योंकि एक ही प्रकार का खाना खाने से बच्चे ऊब जाते हैं। खाना कटोरी चम्मच से खिलाएँ। बच्चे को खाना बहुत धैर्य के साथ खिलाना चाहिये, उससे बातें करनी चाहिए। जबर्दस्ती बच्चे को खाना नहीं खिलाना चाहिए। खाना खिलाते समाय पूरा ध्यान बच्चे की ओर होना चाहिए। खिलाते समय टीवी, रेडियो आदि न चलाएँ।


इन मानकों का करें पालन, कोविड-19 संक्रमण से रहें दूर : -

- दो गज की शारीरिक - दूरी का पालन हमेशा करें।

- बार - बार साबुन या अल्कोहल युक्त पदार्थों से हाथों की अच्छी तरह सफाई करें।

- साफ- सफाई का विशेष ख्याल रखें।

- भीड़ - भाड़ वाले जगहों से परहेज करें।

रिपोर्टर

  • Swapnil Mhaske
    Swapnil Mhaske

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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