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विश्व रोगी सुरक्षा दिवस आज - पोस्टर प्रतियोगिता में विजेता बनी संग्रामपुर की टीम



- एएनएम स्कूल सभागार में आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता में तारापुर की टीम दूसरे तो तीसरे स्थान पर रही जमालपुर की टीम 

- जिला के सभी 9 प्रखंडों में कार्यरत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की  सीएचओ के बीच आयोजित की गई थी प्रतियोगिता 

 - विजयी प्रतिभागी कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स को डीपीएम, एनसीडीओ ने पुरस्कार देकर किया सम्मानित 


मुंगेर, 16 सितंबर


 विश्व रोगी सुरक्षा दिवस 17 सितंबर को है । इस दिवस को लेकर  शुक्रवार को सदर अस्पताल परिसर स्थित एएनएम स्कूल सभागार में जिला भर के सभी 9 प्रखंडों में कार्यरत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर के बीच मेडिकेशन सेफ्टी की थीम पर पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसमें मुंगेर के संग्रामपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत कार्यरत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर कार्यरत कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर द्वारा बनाई गई पोस्टर को जिला भर में पहला स्थान मिला।  वहीं तारापुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत कार्यरत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर कार्यरत कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर द्वारा बनाई गई पोस्टर को दूसरा और जमालपुर प्रखंड क्षेत्र में काम करने वाली कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर द्वारा बनाए गए  पोस्टर को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ। इस अवसर पर सभी प्रतिभागी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की सीएचओ को जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम प्रबंधक नसीम रजी, गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉक्टर के. रंजन ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया । इस अवसर पर जिला अनुश्रवण और मूल्यांकन पदाधिकारी शशिकांत, जिला योजना समन्वयक विकास कुमार, एनसीडी मुंगेर में मनो चिकित्सक नितिन आनंद, जपाईगों के डॉ आनंद और डॉ मनीष सामांथ सहित कई अन्य लोग उपस्थित थे। 


इस मौके पर जिला के  प्रखंडों से आई कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर को संबोधित करते हुए जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम प्रबंधक नसीम रजी ने रोगी सुरक्षा के दौरान रंगों (कलर) के महत्व  को समझाते बताया कि  लाल रंग का मतलब है कि मरीज  सीरियस है लेकिन इसका इलाज संभव है।  इसलिए इसे रेफर करना है। इसी तरह पीला रंग का मतलब है कि मरीज  सीरियस है लेकिन उसका इलाज  करना है। इस दौरान हरा रंग का मतलब है कि मरीज  सामान्य स्थिति में और उसका बेहतर इलाज (ट्रीटमेंट) करना है। इसके साथ - साथ मरीज सुरक्षा (पेशेंट सेफ्टी) के दौरान नीला रंग का मतलब होता है कि मरीज  बहुत ही गंभीर स्थिति में है।  उसे तत्काल आईसीयू में भर्ती करना है। इसके बाद ट्रीटमेंट के दौरान काला रंग का मतलब है कि मरीज  की  मौत हो चुकी है। 


जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम समन्वयक डीपीसी विकास कुमार ने बताया कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की सीएचओ के बीच पोस्टर प्रतियोगिता के पूर्व उन्हें रोगी सुरक्षा के तहत नवजात एवं मातृत्व स्वास्थ्य की सुरक्षा के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई। इस दौरान स्टेट टीम से आई स्टेट न्यूट्रिशन कॉन्सलर श्वेता जी ने पोषण एवं पुनर्वास केंद्र में भर्ती किए जाने वाले कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए विभिन्न तकनीकी पहलुओं की विस्तार पूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि  सैम बच्चों की पहचान और उपचार दो स्तर पर 1 फैसिलिटी के स्तर पर पोषण एवं पुनर्वास केंद्र में और 2 कम्युनिटी के स्तर पर हो सकता है।

रिपोर्टर

  • Aishwarya Sinha
    Aishwarya Sinha

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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